अपने दोस्तों से साझा करें

Monday, August 6

बाल मनोविज्ञान: मानव विकास की अवस्थाएँ (Stages of human Development )

मानव विकास की अवस्थाएँ  
(Stages of human Development )




मानव विकास के सतत् प्रक्रिया है। शारीरिक विकास तो एक सीमा (परिपक्वता प्राप्त करने) के बाद रूक जाता है, किन्तु मनोशारीरिक क्रियाओँ में विकास निरन्तर होता रहता है।
मनोशारीरिक क्रियाओं के अन्तर्गत मानसिक, भाषायी, संवेगात्मक, सामाजिक एवं चारित्रिक विकास आते हैं। इनका विकास विभिन्न आयु स्तरों में भिन्न- भिन्न प्रकार से होता है। विभिन्न आयु स्तरों को मानव विकास की अवस्थाएँ कहते हैं |

भारतीय मनीषियों ने मानव विकास क अवस्थाओं को सात कालों में विभाजित किया है -

  1. गर्भावस्था गर्भावधान से जन्म तक।
  2. शैशवावस्था जन्म से 5 वर्ष तक।
  3. बाल्यावस्था 5 से 12 वर्ष तक।
  4. किशोरावस्था 12 वर्ष से 18 वर्ष तक।
  5. युवास्था 18 वर्ष 25 वर्ष तक।
  6. प्रौढ़ावस्था 25 वर्ष से 55 वर्ष तक।
  7. वृद्धावस्था 55 वर्ष से मृत्यु तक।


इस समय अधिकार विद्धान मानव विकास का अध्यय निम्नलिखित चार अवस्थाओं के अन्तर्गत करते हैं-

  1. शैशवावस्था जन्म से 6 वर्ष तक।
  2. बाल्यावस्था 6 वर्ष से 12 वर्ष तक।
  3. किशोरावस्था 12 वर्ष से 18 वर्ष तक।
  4. वयस्कावस्था 18 वर्ष से मृत्यु तक।


शिक्षा की दृष्टि से प्रथम तीन अवस्थाएँ महत्वपूर्ण हैं, इसलिए शिक्षा मनोविज्ञान में इन्हीं तीन अवस्थाओं में होने वाले मानव विकास का अध्ययन किया जाता है।

No comments:

Post a Comment

Popular Posts Of Blog